अंग्रेजन को साड़ी पहनाई...
मैं उसके होटल पहुँचा ! इस बार मैं कंडोम भी ले गया था कि शायद जरूरत पड़ जाए ! उसने मुझे इसलिए बुलाया था क्योंकि वो जयपुर साड़ी पहन कर घूमना चाहती थी अपने ग्रुप के साथ ! वह फ़्रांस से आई हुई थी। जब मैं उसके होटल पंहुचा तो मैंने देखा कि वह साड़ी पहनने की कोशिश कर रही थी।मैंने उसे कहा- ऐसे नहीं पहनते !
मैंने उसकी साड़ी उतार दी ! तभी मैंने देखा कि उसने ब्लाऊज़ भी गलत पहना हुआ है। मैं उसका ब्लाऊज़ ठीक करने लगा और उससे कहा- आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हो! read more
मैं और मेरी प्यारी शिष्या
मेरे लौड़े का बुरा हाल हो रहा था .. इतना ज्यादा तन चुका था कि दर्द होने लगा लौड़े में..अब मैंने उसको बोला- इसको प्यार करो ना..
तो उसने प्यार से मेरे लौड़े पर एक चुम्बन ले लिया..
मैंने बोला- ऐसे नहीं ! इसको मुँह में लेकर लॉलीपोप की तरह चूसो, तब इसको अच्छा लगेगा..
पहले तो उसने मना किया लेकिन मेरे कहने पर मुँह में ले लिया फिर धीरे धीरे उसको मज़ा आने लगा और वो बुरी तरह मेरे लौड़े को चूसने लगी..
मेरी सिसकारियाँ निकलने लगी तो वो और भी ज्या
दा जोर से चूसने लगी लौड़े को.. बोली- आज इस लॉलीपोप को मैं खा जाउंगी..read more
शादी के बाद भी न बुझी प्यास
उसने मुझे वहीं स्टोर में धर-दबोच लिया, मेरे लहंगे में हाथ डाल कर मेरी चूत मसलने लगा। हाय काले ! छोड़ ! मैं बहक रही हूँ ! नीचे सभी हैं ! वादा रहा आऊंगी !दो मिनट सहला दे मेरा पकड़ कर !
नहीं ! रात को !
मुझे पता था कि मैं आज नहीं रुकने वाली, मुझे वापस ससुराल जाना था, मैं नये माल का स्वाद लेना चाहती थी, काला सिंह अब बासा था, पुराना !
वो चला गया, शाम हुई, सभी मुझे विदा करवाने लगे !
रात हुई मुझे छत पर एक कमरे में बिठा दिया गया। मैं गुरनाम का इंतज़ार करने लगी। करीब एक घंटे बाद वो आया मेरे पास, मैं खड़ी हो गई, उसने दारु पी रखी थी, तीखी गन्ध आ रही थी लेकिन काला अक्सर मुझे पी कर ही चोदता था इसलिए मुझे कुछ अलग नहीं लगा।read more
मेरी मां चुद गई
"हां, जानती हूँ... " फिर मुझे वो मुस्करा कर देखने लगी। खाना खाकर मैं अपने कमरे में चली आई। कुछ ही देर में चाचा आ गये। मम्मी ने मुझे कमरे में झांक कर देखा, उन्हें लगा कि मैं सो गई हूँ। वो चुपचाप अपने कमरे में चली गई और कमरा भीतर से बन्द कर लिया। मैंने अपने लिये लाईव शो का इन्तज़ाम पहले से ही कर रखा था। उनके दरवाजा बन्द करते ही मैं चुपके से कमरे से बाहर आ गई और खिड़की को ठीक से देखा। अन्दर का दृश्य साफ़ नजर आ रहा था। मेरा दिल धड़क रहा था कि मां की चुदाई होगी।read moreजीजू ने मेरी सील तोड़ी
मैं अभी बारहवीं कक्षा में हूँ मुझे अन्तर्वासना से जुड़े सिर्फ सात महीने हुए हैं, यह साइट मुझे मेरी सबसे पक्की सहेली वर्षा ने बताई थी। हम दोनों एक दूसरी की हमराज़ हैं मुझे सब पता रहता है कि आजकल उसका कितने लड़कों से चक्कर है किस किस से चुदवाती है और उसको मेरा सब कुछ पता रहता है। हम दोनों दूसरी कक्षा से एक साथ पढ़ती आ रही हैं, तो दोस्तो, जब उसने मुझे अन्तर्वासना डॉट कॉम पर कहानी पढ़वाई तो कहानी पढ़ कर मैं मचल उठी अपनी चूत फड़वाने को !..read moreपहली पहली बार
मेरा नाम रेशमा है। मैं इस्लामाबाद पाकिस्तान से हूॅ। मैं विवाहित हूॅ । मेरी उम्र २६ वर्ष है। यह बात तब की हेै जब मैं कालेज में थी। मुझे अपने क्लास के एक लडके मोइन से प्यार हो गया। हम दोनो अक्सर कालेज से द्यूमने के लिये निकल जाते थे। फिर दोनो पिक्चर देखने के लिये भी जाने लगे। हम दोनो धीरे धीरे बहुत करीब आते गये। मोइन मुझे हमेशा हाथो पर और फिर धीरे धीरे गालो पर चूम लेता था। एक दिन उसने मुझे मेरे होठों पर चूम लिया। अब वह थोडा निडर हो गया था। एक दिन उसने मुझे कस कर पकड लिया और मेरे होठो को चूम लिया फिर उसने मेरे कन्धों पर फिर मेरी गर्दन को चूम लिया।उसने मेरे उरोजो का छू लिया । पहली बार किसी ने मेरे बूब्स को छुआ था मुझे बहुत अच्छा लगा था। धीमे धीमे वह और आगे बढ़ गया था। अब वह अपने हाथो से मेरी जाद्यों को कभी कभी वह अपने हाथो से मुझे पीछे से कमर के नीचे के भाग को दबा देता था। मुझे बहुत मजा आता था मैंने कभी विरोध नहीं किया।.....read more
मेरी सेक्सी पड़ोसन : एक कहानी
दोस्तों मेरा नाम रजत है।मेरी उम्र २३ वर्ष कद ५' ८" है। मैं आपको परीती के साथ अपने सेक्स अनुभब को अपनी पिछली कहानी मे बता चुका हूं।अब मैं अपने जिन्दगी के एक और सेक्स अनुभव को आपको बताने जा रहा हूॅ।तब मेरी उम्र १९ वर्ष थी मेरे अन्दर सेक्स का कीडा भडक रहा था। मेरी छुटि्टयॉ चल रही थी। हमारे घर के सामने वाले घर मे एक लड़की रहती है।उसका नाम पूजा है। हम दोनो बचपन से ही बहुत अच्छे दोस्त हैं। इस बार मैं द्यर दो सालों के बाद आया था। मतलब की हम दोनो पूरे दो सालों के बाद मिले थे। और अब वह पहले वाली पूजा नहीं थी अब वह बला की खूबसूरत हो गयी थी।.....read moreसेक्सी सोनिया: एक कहानी
मेरा नाम अनिल है और मैं पहली बार अपने ऐसे किस्से को लिख रहा हूं जो मैं कभी नहीं भुला सकता । मैं आशा करता हूं कि आप इनको समझेंगे और अपने जीवन की घटनाआें के साथ इनकी तुलना कर पायेंगे।मैं ऐसे ऑफिस में काम करता हूॅ। जहां काम करने वालों में लड़कियों व लड़कों की संख्या बराबर है । अधिकतर लड़कियां मिडल क्लास खानदानों से हैं जिस के कारण "सदाचार" का बहुत असर है चाहे आजकल के मॉर्डन ज़माने में इनका कोई मुल्य नहीं है । परन्तु इन सब लड़कियों में सोनिया बिलकुल अलग है । वह काफी स्लिम है परन्तु उसके मम्मे और चूतड़ लाजवाब हैं । वह ५ फुट ३ इंच ऊंची है और उसकी छाती धरती की खींच को भी झुठला देती है। किस्सा तब शुरू हुआ जब हम दोंनों को किसी मीटिंग के लिये लन्च टाइम पर जाना पड़ा। जैसे आमतौर पर होता है मीटिंग कुछ घंटे चली और हम दोनों को बहुत भूख लग रही थी। कार की तरफ जाते हुये मैंने सोनिया को कहा कि विम्पी या मैकडौनल्ड या के०एफ०सी० जो पास में थे जा कर नाश्ता कर लेतें हैं। सोनिया बरगर नहीं खाना चाहती थी इस लिये हम के०एफ०सी० में घुस गये और क्रिस्पी चिकन ऑर्डर किया। कुछ देर बातें करते वार्तालाप कॉलेज ब्वायफ्रैन्डो इत्यादि की तरफ बढ़ा। सोनिया ने बताया कि उसके कई पुरूष दोस्त हैं पर कोई ऐसा नहीं जिसे ब्वायफ्रैन्ड कहा जा सके।...read more
मेरी बास रचना : एक कहानी
सबसे पहले मैं अपनी बॉस का धन्यवाद करना चाहूंगा जिसकी बदौलत मैं आज मस्ती के उस मुकाम पर पहुंचा हूं जहां मेरी वासना का ज्वार हर लहर के साथ टूट कर नहीं बिखरता। हर एक लहर अगली लहर को तब तक बढाती है जब तक कि आखिरी मंजिल पर पहुंच कर एक जबरदस्त उफान के साथ मेरे प्यार का लावा असीम आनन्द देता हुआ मेरे साथी को अपने साथ बहा ले जाता है।बात उस समय की है जब मैं एक सॉफ्टवेयर कम्पनी में काम कर रहा था। मिस रचना मेरी बॉस थी। उम्र रही होगी करीब २८ साल की। लम्बी करीब ५'८" और सारी गोलाईयां एकदम परफेक्ट। अफवाह थी कि वो मिस इन्डिया में भी भाग ले चुकी थी। पर गजब की सख्ती बरतती थी वो हम सब के साथ। किसी की भी हिम्मत नहीं होती थी कि उनके बारे में सपने में भी गलत बात सोचें। वो हम सब से दूरी बना कर रखती थी। मैं नया नया आया था। इसलिए एकाध बार उनके साथ गरम जोशी से बात बढाने की गुस्ताखी कर चुका था। पर उनकी तरफ से आती बर्फीली हवाआें में मेरा सारा जोश काफूर हो गया। अब मुझे मालूम हुआ कि मेरे साथियों ने उनका नाम मिस आईस मैडेन क्यों रखा है। पर मुझे क्या पता था कि ऊपर वाले ह्यया ऊपर वाली हृ की मर्जी क्या है। एक दिन हमारे आफिस का नेटवर्क गडबडा गया। कभी ऑन होता तो कभी ऑफ। उसदिन शनिवार था। मैं दिन भर उसी में उलझा रहा पर उस गुत्थी को सुलझा नहीं पाया। आखिर थक कर मैंने मैडम को कहा कि अगले दिन यानि रविवार को सुबह नौ बजे आकर इस को ठीक करने की कोशिश करूंगा। मैंने उनसे आफिस की चाभियां ले लीं।....read more
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